मन कर्म और वचन


 मन

 "मन के हारे हार है, मन के जीते जीत" 



यह लोकोक्ति मनुष्य के मनोवल की महिमा को प्रकट करती है। और दर्शाती है कि " जिसका मन हार जाता हैं वह बहुत शाक्तिशाली होने पर भी पराजित हो जाता है, और सकती ना होते हुए भी जो मन से हार नहीं मानता है  उसे कोई भी शक्ति पराजित नहीं कर सकती है।

स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी कहते है कि --

"यदि आपके मन में कोई भी विचार आता है और आप उस पर तुरंत अमल कर लेते है , तो ये कोई समझदार निर्णय नहीं है।  मन कुछ भी कहे , उसे करने से पहले उस पर विचार की सार्थकता, मूल और उसकी गहराई को जरूर मापना चाहिए। "



कर्म


स्टीव जॉब्स के अनुसार--
आपको अपने काम से प्रेम करना चाहिए।  यदि आप काम को कठिन मानकर उसे बीच में छोड़  देते  है , तो यह आपकी दृढ़ता की हार है।  आप जो कर रहे हैं , उसके लिए आपके अंदर भरपूर जुनून  होना चाहिए। 




वचन 


लेखक डेन ब्राउन ने वचन को इस प्रकार परिभाषित किया है -
हमारी वाणी दरअसल हमारे विचारो का परिणाम है।  अपने विचारों और भावना की प्रकृति के अनुसार हम दूसरे लोगो से बातचीत करते समय उनके प्रति अपनी राय प्रकट करते है। 

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