दुनिया के अधिकांश विकासशील देशों में हर साल पैरों में छाले अथवा फोड़े की समस्या बढ़ती जा रही है। इसका एक कारण डायबिटीज हो सकता है। इन देशों में डायबिटीज तेजी से बढ़ता जा रहा है। जिन लोगों को डायबिटीज की शिकायत रहती है, उनमें से एक फीसदी लोगों को पैरों के नीचे के हिस्से में फोड़ा या छेद होने की समस्या हो जाती है। डायबिटीज के अधिकांश मरीजों को किसी और परेशानी की बजाय डायबिटिक फुट अल्सर के कारण अस्पताल में ज्यादा भर्ती करना पड़ता है।
क्याहै डायबिटिक फुट
लंबेसमय तक डायबिटीज की शिकायत होने पर नस-नाड़ियों को नुकसान होने लगता है। इस कारण पैर संवेदनशीलता खोने लगते हैं। उनमें स्पर्श या दर्द अथवा पीड़ा का अहसास नहीं होता है। साथ ही असामान्य दबाव के कारण उनका आकार भी बदल जाता है। कई बार यदि डायबिटीज के मरीज लंबे समय तक खड़े रहते हैं तो उनके पैरों की नसें अवरुद्ध हो जाती हैं, जिसे एथेरोस्केरोेसिस भी कहते हैं। इसके कारण ऑटोनॉमिक न्यूरोपैथी होती है, जिससे एनहायड्रोसिस यानी त्वचा सूखने लगती है, जिससे उसमें दरार पड़ती हैं और बैक्टीरिया होने लगते हैं। इन सबके कारण पैरों में जख्म होने लगते हैं। ध्यान देने पर इसमें छाला या फोड़ा या फिर संक्रमण हो जाता है, जो गैंगरीन की भयावह शक्ल ले सकता है, जो पैर को पूरी तरह से खत्म कर सकता है। इसे ही डायबिटीक फुट भी कहा जाता है।
क्याहै डायबिटिक फुट
लंबेसमय तक डायबिटीज की शिकायत होने पर नस-नाड़ियों को नुकसान होने लगता है। इस कारण पैर संवेदनशीलता खोने लगते हैं। उनमें स्पर्श या दर्द अथवा पीड़ा का अहसास नहीं होता है। साथ ही असामान्य दबाव के कारण उनका आकार भी बदल जाता है। कई बार यदि डायबिटीज के मरीज लंबे समय तक खड़े रहते हैं तो उनके पैरों की नसें अवरुद्ध हो जाती हैं, जिसे एथेरोस्केरोेसिस भी कहते हैं। इसके कारण ऑटोनॉमिक न्यूरोपैथी होती है, जिससे एनहायड्रोसिस यानी त्वचा सूखने लगती है, जिससे उसमें दरार पड़ती हैं और बैक्टीरिया होने लगते हैं। इन सबके कारण पैरों में जख्म होने लगते हैं। ध्यान देने पर इसमें छाला या फोड़ा या फिर संक्रमण हो जाता है, जो गैंगरीन की भयावह शक्ल ले सकता है, जो पैर को पूरी तरह से खत्म कर सकता है। इसे ही डायबिटीक फुट भी कहा जाता है।